बुधवार, 17 अगस्त 2016

श्रीमद्भगवद्गीता के अनमोल वचन


* मैं समस्त प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूं। 
* श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार नर्क के तीन द्वार हैं- क्रोध, वासना और लालच। 
* क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है और जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। 
* सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता तीनों लोक में कहीं भी नहीं है। 
* जो मनुष्य अपने मन को नियंत्रण में नहीं रख सकता वह शत्रु के समान कार्य करता है। 
* मैं सभी प्राणियों को एकसमान रूप से देखता हूं। मेरे लिए ना कोई कम प्रिय है ना ज्यादा, लेकिन जो मनुष्य मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं। वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूं। 

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